साल 2020 एक ऐसा साल रहा जिसमें दुनियाभर में तमाम तरह के उतार-चढ़ाव देखे गए. अचानक से दौड़ती भागती दुनिया जैसे कुछ महीनों के लिए थम सी गई थी. अर्थव्यवस्था से लेकर तमाम चीजों के पहिए जाम हो गए. जब लॉकडाउन के बाद फिर से चीजें शुरू हुईं तो काफी कुछ बदल चुका था. वर्क फ्रॉम होम से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग, फेस मास्क जैसी चीजें न्यू नॉर्मल बन गईं. अब सभी लोग कोरोना महामारी के बीच जीना सीख चुके हैं और ऐसे ही सब कुछ चल रहा है.
भारत की अगर बात करें तो इस साल कोरोना महामारी के अलावा भी बहुत कुछ हुआ. जिसे याद रखा जाएगा. साल की शुरुआत ही हिंसा और प्रदर्शनों से हुई. नागरिकता कानून के विरोध में लोग सड़कों पर थे और कई जगहों पर इसे लेकर दंगे भी हुए. सैकड़ों की जान गई. महामारी शुरू होते ही लॉकडाउन तो लगाया गया, लेकिन प्रवासी मजदूरों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया. बिना पैसे के शहरों में दिन गुजार रहे मजदूरों ने पैदल ही अपने गांवों के लिए यात्रा शुरू कर दी. हजारों मजदूरों और उनके बीवी बच्चों की पैदल चलते हुए तस्वीरें कई सालों तक हमारे जहन में रहेंगीं. इसके अलावा सुशांत सिंह राजपूत की मौत को लेकर हुआ तमाशा भी देश ने देखा, वहीं हाथरस में फिर एक लड़की के साथ हैवानियत और पुलिस-प्रशासन की लापरवाही को लेकर जमकर प्रदर्शन हुए. जिसे आखिर में राजनीति का नाम देकर दबा दिया गया.
बात राजनीति की हुई है तो आपको बता दें कि सिर्फ यही मामला नहीं बल्कि कई मामलों में जमकर राजनीति हुई. सुशांत सिंह मामले में और बिहार चुनावों में महामारी और वैक्सीन को लेकर भी राजनीति हुई. इसके बाद केंद्र के कृषि कानूनों को लेकर संसद में हंगामा देखा और अब इसी मामले को लेकर हजारों किसान दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं. वहीं अब पश्चिम बंगाल चुनाव की तैयारियां चल रही हैं.
तो आज पॉडकास्ट में बात करेंगे 2020 में भारत की राजनीती के बारे में. और अगले साल इससे होने वाले असर के बारे में.
रिपोर्ट और साउंड एडिटर: फबेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज
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