कोरोना के चलते लगाए गए लॉकडाउन से नुकसान की तो गिनती नहीं, लेकिन इस लॉकडाउन ने शहरों की जहरीली हवा को साफ कर दिया था. क्योंकि कई हफ्तों तक सड़कों पर गाड़ियां नहीं चलीं और तमाम कामकाज बंद रहा. लेकिन अब एक बार फिर शहरों की हवा में दम घुटने लगा है. खासतौर पर दिल्ली और एनसीआर में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है. गाड़ियों से निकलते धुएं और पड़ोसी राज्यों में जलते खेतों ने दिल्ली को एक बार फिर गैस चैंबर में बदलना शुरू कर दिया है. हर साल की तरह इस साल भी सरकारें एक दूसरे पर इसका इल्जाम लगाने की तैयारी कर रही हैं. पल्यूशन को रोकने के लिए बनाया गया रोडमैप सिर्फ कागजों में दिख रहा है.
अब सुप्रीम कोर्ट ने भी एक बार फिर इस मामले पर संज्ञान लिया है और जिन राज्यों में पराली जलाई जाती है उन पर निगरानी रखने के लिए एक कमेटी बनाई है. आज पॉडकास्ट में जानिये कि सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने को लेकर क्या कहा है और अगर पराली जलाने से पल्यूशन में इजाफा होता है, तो क्या पराली से डील करने का कोई दूसरा एनवायरनमेंट -फ्रेंडली उपाय हमारी सरकारों के पास नहीं है? हर साल ये सवाल पूछते हैं, इस साल भी पूछना वाजिब है कि पराली से होने वाली पर्यावरण की बेहाली आखिर कौन सही कर सकता है?
रिपोर्ट: फबेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
इनपुट्स: शोरबोरी पुरकायस्थ
म्यूजिक: बिग बैंग फज
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