देश ने निर्भया गैंगरेप मामले में हाल ही में करीब 8 साल बाद दोषियों को फांसी पर लटकते देखा और खुशी मनाई, लेकिन आज भी कई निर्भया ऐसी हैं, जिनकी आवाज पहले तो समाज तक पहुंचती नहीं है, लेकिन अगर किसी तरह मामला सामने आ भी गया तो सत्ता में बैठे लोग उसे दबाने की हर मुमकिन कोशिश में जुट जाते हैं. यूपी के हाथरस में भी एक ऐसा ही मामला देखने को मिल रहा है. जहां एक 20 साल की लड़की के साथ खेतों में ले जाकर दरिंदगी हुई और उसे बुरी तरह से पीटा गया, जिसके बाद 15 दिनों तक पीड़िता दर्द में कराहती रही और आखिरकार उसने इस दुनिया को छोड़ दिया. लेकिन इस पूरे मामले ने लचर कानून व्यवस्था के आगे लगे पर्दे को गिरा दिया.
14 सितंबर को जिस दिन लड़की के साथ दरिंदगी हुई, उस दिन से लेकर अब तक इस पूरे मामले से एक बार फिर यूपी में कानून व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा पर बहस छिड़ चुकी है. ये पूरा मामला आप को तफ्सील से सुनायेंगे, लेकिन एक बुनियादी सवाल ये कि निर्भया को इन्साफ मिल गया, लेकिन हाथरस की इस बेटी के साथ ये नाइंसाफ़ी क्यों? इस पर सुनिए लेखक और दलित समाज पर कमेंट्री करने वाले पत्रकार अनिल चमड़िया जी को.
रिपोर्ट: फ़बेहा सय्यद
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज
Learn more about your ad choices. Visit megaphone.fm/adchoices
view more