कोरोना महामारी के कहर को करीब 8 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, लेकिन अब तक इसका असर दुनिया के कई देशों में देखने को मिल रहा है. इसीलिए दुनिया के बड़े देश इस वायरस को खत्म करने की दवा या वैक्सीन को लेकर काम कर रहे हैं और इनके बीच अब एक रेस शुरू हो चुकी है कि कौन सबसे पहले कोरोना वैक्सीन तैयार करेगा. लेकिन रेस में करीब सबसे आगे चल रही ऑक्सफ़ोर्ड-AstraZeneca COVID-19 वैक्सीन को लेकर एक बुरी खबर सामने आई है. इस वैक्सीन के ट्रायल दुनियाभर में फिलहाल के लिए बंद कर दिए गए हैं. क्योंकि ब्रिटेन में इस वैक्सीन के ट्रायल में शामिल होने वाले एक शख्स पर इसका बुरा रिएक्शन देखने को मिला है. इसी के चलते अब भारत जो कि इस वैक्सीन के तीसरे फेज का ट्रायल शुरू करने वाला था उसने भी इस पर रोक लगा दी है.
अब जिस वैक्सीन ने दुनियाभर के लोगों में एक उम्मीद जगाई थी, उसके ट्रायल पर अचानक यूं ब्रेक लग जाना आखिर कितना चिंताजनक है? क्या वैक्सीन का सपना और भी ज्यादा दूर चला गया है, या फिर वैक्सीन के प्रोसेस में ये एक आम बात है? इस पूरे मसले पर आज बात करेंगे प्रोफेसर गिरिधर आर. बाबू से, जो बेंगलुरु में पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इण्डिया में लाइफकोर्स एपिडिमियोलॉजी डिपार्टमेंट के हेड हैं.
रिपोर्ट: फबेहा सय्यद
गेस्ट: प्रोफेसर गिरिधर आर. बाबू, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इण्डिया, बेंगलुरु
असिस्टेंट एडिटर: मुकेश बौड़ाई
म्यूजिक: बिग बैंग फज
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