सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले के साथ ये चर्चा शुरू हो चुकी है कि फ्रीडम ऑफ स्पीच का दायरा कैसे तय किया जा सकता है. प्रशांत भूषण को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना मामले में दोषी करार दिया था. जिसके बाद 25 अगस्त को उम्मीद जताई जा रही थी कि इस मामले में कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया. वहीं साल 2009 वाले अवमानना मामले की सुनवाई भी 10 सितंबर तक टाल दी गई है.
आमतौर पर लोग अवमानना मामले में कोर्ट के आगे झुक जाते हैं और माफी मांग लेते हैं. लेकिन प्रशांत भूषण माफ़ी मांगने का मौका मिलने के बाद भी अपनी बात पर डटे हैं, वो बार-बार कह रहे हैं कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है और इसके लिए वो माफी नहीं मांगेंगे. प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट्स के अलावा एफिडेविट में सुप्रीम कोर्ट के कई चीफ जस्टिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं. इसी पर बात करेंगे आज इस पॉडकास्ट में.
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