भारत और चीन के बीच पिछले कई हफ्तों से बातचीत का दौर लगातार जारी था, लेकिन इसी बीच एक ऐसी खबर आई, जिसने हर बातचीत के नतीजे को बदलकर रख दिया. 15 जून की रात एलएसी के पास गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच कई घंटों तक खूनी संघर्ष हुआ. जिसमें भारत ने अपने 20 बहादुर जवानों को खो दिया. जिनमें से कोई किसी का इकलौता बेटा था तो कोई अपने मासूम बच्चों को छोड़कर देश के लिए शहीद हो गया.
हमले के बाद प्रधान मंत्री ने भी बयान दिया और कहा कि भारत शांति ही चाहता है लेकिन उकसाने पर हमें जवाब देना आता है. वहीं विपक्ष भी लगातार सरकार से इस घटना को लेकर सवाल पूछ रहा है. एक ऐसे ही सवाल का जवाब गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दिया. जिसमें कहा जा रहा था कि हिंसक झड़प के दौरान भारतीय सैनिक निहत्थे थे. विदेश मंत्री ने कहा:
'आइए फैक्ट्स को सीधा रखते हैं- सीमा पर तैनात सभी सैन्य दल हमेशा हथियार साथ रखते हैं, खासकर जब पोस्ट छोड़कर कहीं जाते हैं तो. 15 जून को गलावन में तैनात जवानों ने भी ऐसा ही किया. ये पुरानी प्रथा है (1996 और 2005 के समझौते के मुताबिक) कि फेस ऑफ के वक्त फायर आर्म्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता.'
यानी इस घटना को लेकर सरकार हो या विपक्ष हर तरफ से कुछ न कुछ बयान सामने आ रहे हैं. ऐसे ही और बयान और सवाल आगे भी सामने आते रहेंगे. लेकिन आज हम बात करेंगे उन 20 बहादुर जवानों की जिन्होंने सीमा पर लड़ते-लड़ते अपने प्राणों को देश के लिए बलिदान कर दिया.
रिपोर्ट और साउंड डिज़ाइन: फबेहा सय्यद
एडिटर: मुकेश बौड़ाई
वॉइस ओवर: वैभव पालिनिटकर, चमन शगुफ्ता, शमीम अख्तर, शोरबोरी पुरकायस्थ
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