Covid19 बीमारी का भारत की पब्लिक हेल्थ सिस्टम और अर्थव्यवश्ता पर जिस तरह असर पढ़ा है उसे भारत सरकार अपने तौर से मैनेज करने की कोशिश कर रही है. लेकिन भारत के कई हिस्सों में फौरी तौर पर अगर छोटे कारोबार बचाए नहीं गए तो संकट और बढ़ सकता है.
कोरोनावायरस से इकनॉमी को बड़ा झटका लगने की आशंका की वजह से आरबीआई ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कटौती तो की ही है, EMI पेमेंट पर भी तीन महीने की मोहलत दी है. इन उपायों के बावजूद, ऐसी रिपोर्टें हैं कि MSMEs तनख्वाह और क्रेडिटर्स को पेमेंट करने के बारे में चिंतित हैं, और वो इसलिए हैं क्यूंकि प्रोडक्शन और सप्लाई तो रुका हुआ ही है, डिमांड भी भी कम हो गई है. उसके अलावा हेल्थ सेक्टर और अर्थव्यवस्था पर असर पड़ने से पहले ही पब्लिक सेक्टर बैंक्स में लेंडिंग भी कंज़र्वेटिव ढंग से होने की बातें सामने आ रही हैं.
यानी असंगठित क्षेत्र जिनके दम पे चलता है उन्हें भी सरकार की मदद की सख्त ज़रुरत है. आज बिग स्टोरी में जानेंगे स्मॉल एंड मीडियम एंटरप्राइज यानी MSME सेक्टर के बारे में कि सरकार इस सेक्टर को राहत पहुंचाने के लिए क्या क्या कर सकती है.
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