अमेरिका और तालिबान के बीच शनिवार, 29 फरवरी, को कतर में शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए। इसके मुताबिक, अमेरिका 14 महीने में अफगानिस्तान से अपने सैनिक हटाएगा। इससे हो सकता है कि अमेरिका का सबसे लम्बा युद्ध शायद ख़त्म हो जाए. इस वक़्त अफ़ग़निस्तान में अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन समेत 38 देशों की सेनाएं हैं. अब इन में से अमेरिका की 8000 से ज़्यादा सैनिक है जिन्हे इस पैक्ट के मुताबिक़ अब अपना बोरिया बिस्तर उठा कर वापस अपने घर जाना होगा.
इस पैक्ट की दूसरी ख़ास बात है 'तालिबान कमिटमेंट' - ये कमिटमेंट कहता है कि 'तालिबान अपने किसी भी सदस्य, या किसी दूसरे व्यक्ति या संगठन को, जिनमें अल-क़ायदा भी है, को अमेरिका और उसके सहयोगियों की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं बनने देगा, और इस के लिए अफ़ग़निस्तान की ज़मीन का इस्तेमाल नहीं करने देगा.
लेकिन क्या वाकई इस समझौते से शांति की उम्मीद की जा सकती है? और इस समझौते का भारत के लिए क्या मतलब है? इस सब के बारे में आज बिग स्टोरी में बात करेंगे तक्षशिला रिसर्च इंस्टिट्यूट के फेलो, प्रणय कोटस्थाने से.
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