परदेसी परदेसी जाना नहीं. Migration in India ft. Chinmay Tumbe
‘मेरे पिया गए रंगून, वहाँ से किया है टेलीफून” याद आया न यह गाना? लेकिन आपने सोचा कि इनके पिया आख़िर क्यों और कैसे रंगून पहुंचे? आम धारणा यह है कि भारत में अक़्सर लोग जिस गाँव में जन्म लेते थे, उसी में पूरा जीवन व्यतीत कर देते थे | लेकिन हमारे इस एपिसोड के सह-पुलियाबाज़ चिन्मय तुम्बे बताते है कि भारत का प्रवास याने कि migration के साथ अटूट रिश्ता है | चिन्मय १० साल से migration पर शोध कर रहे है और उन्होंने अपनी किताब India Moving: A History of Migration में भारतीय समाज और migration के कई अनोखे किस्सों का अध्ययन किया है | आपको ज़रूर मज़ा आएगा यह एपिसोड सुनकर!
Everyone of us has a migration story. And yet the term migrant often becomes problematic. So in this week’s Puliyabaazi, we spoke to Chinmay Tumbe, a scholar of Indian migrations and author of the magisterial India Moving: A History of Migration. We discussed Indian communities that are prolific at migration. We also discussed if there is anything like a ‘good migrant’.
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