बीते दो दशकों में डॉ लॉरी आज़ाद ने भारत में कवियित्रीयों को बड़ावा देने के लिए बहुत काम किया है। विश्व के बहुत से देशों में वो कवियित्रीयों का समागम करवा चुके हैं। इस कदम के चलते आज बहुत सी महिलाओं को पुरस्कार से सम्मानित किया जा चूका है और यही नहीं इन महिलाओं की लिखी कविताएं और रचनायें प्रकाशित भी हो चुकीं हैं। डॉ लॉरी ने एक दिव्यांकर कवियित्री को भी मंच पर स्थान उपलब्ध कराया है और एक घर में काम करने वाली लड़की को यूरोप तक लेकर जा चूके हैं जहाँ उसकी रचनायें प्रस्तुत की गयीं थीं। इनमें से बहुत सी कवियित्रीयां ऐसी भी थीं जो पहली बार घर से बहार निकलीं, या पहली बार विदेश यात्रा को गईं या फिर पहली बार विमान में बैठीं थीं।
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