तीन ताल के इस एपिसोड में कमलेश ‘ताऊ’, पाणिनि ‘बाबा’ और कुलदीप ‘सरदार’ से सुनिए…
- ट्विटर स्पेसेस की चर्चा जहाँ हर बुधवार को बेबाक बातचीत में तीन ताल के तिलंगों को लाइव सुन सकते हैं और अपनी बात भी रख सकते हैं.
- वायरस के लिये बालगंगाधर तिलक बनकर उभरे उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री के बयान के बहाने इस पर चर्चा कि क्या कोरोना एक प्राणी है? और क्या वायरस को भी जीने का अधिकार है?
- वैक्सीन को लेकर पाणिनि बाबा की अम्मा की तीन चिन्ताएं और दो डोज़ के बीच बढ़ते गैप को लेकर ज़्यादा व्याकुल क्यों नहीं होना है? वैक्सीन फॉर्मूला शेयरिंग पर तीन ताल की काली ज़बान फिर सही साबित हुई?
- उनको वैक्सीन कैसे मिल रही है जिनके पास इंटरनेट नहीं है? और क्या इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सुझावों में दम है?
- क्यों विपक्ष की चिट्ठी और सुझाव पर ताऊ ने बात करने से मना कर दिया? सेंट्रल विस्टा को रोक देना कोई स्थायी समाधान नहीं, ऐसा ताऊ ने क्यों कहा?
- कोविड का मेंटल हेल्थ पर जो असर पड़ रहा है, उसकी वजह क्या है? वो मौत की आशंका है या अस्पृश्यता का संकट? तो फिर क्या करें? ताऊ का रामबाण सुझाव- ख़ुद को छुएं.
- बिज़ार स्टोरी में उन डॉक्साब पर बात, जो शराब से कोरोना ठीक करने का दावा करते हैं. साथ ही, चिकन के साथ चावल पहले परोसा जाए या लिट्टी? बारातियों की नक्शेबाज़ी और वलीमा पर पॉपुलर मेरठी की पॉपुलर नज़्म.
- क्यों शार्ली एब्दो का कार्टून सिर्फ हिन्दू धर्म नहीं, बल्कि सभी धर्मों पर आघात है? उस दौर की बात जब कार्टून में कटाक्ष होता था, कटार नहीं.
- मुनमुन दत्ता ने जिस जातिसूचक शब्द का इस्तेमाल किया, उस अज्ञानता और भोलेपन को क्या नाम दें? क्यों जातिसूचक शब्दों का उच्चारण समस्या नहीं है, बशर्ते वो जाति इसे अप्रूव करे.
- और, न्योता वाले श्रोता में हमारे लिसनर सेवानिवृत्त ज्ञानदत्त पाण्डेय की चिट्ठी जिसमें उन्होंने तीन ताल को ठेला कहा और क्यों इसे हमने आभूषण की तरह ग्रहण किया. उनकी चिट्ठी के बहाने हिन्दी और अंग्रेज़ी के कुछ पॉडकास्ट के सुझाव.
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